भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ध्यान : / गोबिन्द प्रसाद
Kavita Kosh से
सूने कोने
दीवारें, द्वार
रात :गहन,निबिड़
अंधकार
भटकते पाखी की पुकार
आसमान को चीरती लक़ीर
स्मृति के दरिया में
तुम्हारा ध्यान; लहर-द-लहर कौंधता
कोई उम्मीद फ़क़ीर