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नंगे पेड़ों का अभिनय / श्रीधर करुणानिधि

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कहने को कुछ भी कहो
अपने अन्त के लिए तैयार बैठे मौसम से
हज़ारों जिरह के बाद ही
अपने पत्तों को गिराकर नंगे खड़े हैं पेड़ ....

इस अनोखे हादसे के बाद
कई बच्चों ने नंगे होकर उतारी है
पेड़ों की नक़ल ...

इस रंगमंच पर
अपने अन्त के पहले मौसम ने
जिन पेड़ों से कहा
उतारने को अपने वस्त्र
उन्होंने बच्चे बनने की कोशिश की
और तभी आ सकी अभिनय में इतनी जान ...

कहने को कुछ भी कहो
कोशिश तो हमने भी कुछ कम नहीं की है
पेड़ बनने की बच्चों की तरह
या बच्चे बनने की पेड़ की तरह ...।