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नंदिया के धारी / पीसी लाल यादव
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नंदिया के धारी कभू, लहुटे न संगवारी।
मन-मगन लगन ले, कर बिरो के तियारी॥
धरती दाई के कोरा ओगरे,
झर-झर, झर-झर झिरिया झरे।
दिया तेल बाती तीनों मिल
बिरबिट अंधियारी ल हरे॥
रंग-बिरंगी के फुलवा, ले ममहाय फुलवारी।
नंदिया के धारी कभू, लहुटे न संगवारी॥
दुनिया काहथे तेनो ल सुनले,
सुन के अपन हिरदे म गुन ले।
विवेक के सुपा हाथ म तोर
काड़ी-कचरा बदरा ल फून ले॥
पथरा म पानी ओगराना, करमइता के चिन्हारी।
नंदिया के धारी कभू, लहुटे न संगवारी॥
तर-तर चूहे माथ ले पछीना,
भुईंया म गिरे बन के नगीना।
बाहा-बल म अगास अमराय
सिरतोन जांगर परसादे जीना॥
सुख-दुख के काहे संगी, दूनों के पटय न तारी।
नंदिया के धारी कभू, लहुटे न संगवारी॥