नई क्राकरी के
जो बर्तन हाथ से छूटेंगे--
टूटेंगे।
फेंक दिए जाएंगे उनके अवशेष।
वे भी समुद्रों तक पहुँच जाएंगे
एक न एक दिन।
पर नए और उतने ही दिलकश
कैसे बने रहेंगे वे हमारे भीतर?
बहुत-बहुत दिनो तक समुद्र ये
कभी न कह पाएंगे।
नई क्राकरी के
जो बर्तन हाथ से छूटेंगे--
टूटेंगे।
फेंक दिए जाएंगे उनके अवशेष।
वे भी समुद्रों तक पहुँच जाएंगे
एक न एक दिन।
पर नए और उतने ही दिलकश
कैसे बने रहेंगे वे हमारे भीतर?
बहुत-बहुत दिनो तक समुद्र ये
कभी न कह पाएंगे।