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नई दिशा / लीलाधर जगूड़ी
Kavita Kosh से
बेटी जब पहली बार रजस्वला हुई
दादी और माँ के साथ
दीदी और भुली की भी याद आई मुझे
पिछली बार जब बुआ जी आईं थीं
साबी को यही समझाकर गईं
कि बेबी अब सातवें दर्ज़े में है
कभी भी अचानक कुछ हो सकता है
बेबी को पितर आशीषों से नहला गए
बेटी से ही खुलती है रिश्तों की नई दिशा ।