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नई नई चूरिया मंगाय दे मुरहुआ / जगदीश पीयूष

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नई नई चूरिया मंगाय दे मुरहुआ।
धानी रंग चुनरी ओढ़ाय दे मुरहुआ॥

पनवा के बिरवा म जिभिया चटाइ के खवाव मोरे राम।
निमिया के पेड़वा म डाइ के झुलनवा झुलाव मोरे राम॥

अपने लबरवा पै होई थ निछावर।
अपने भतार पै लगाइ थ महावर॥

कनिया म लइके कदमिया कै डरिया चढ़ाव मोरे राम।
निमिया के पेड़वा म डाइ के झुलनवा झुलाव मोरे राम॥

लरिका हमार न खेलावे दहिजरवा।
चुल्हवा जौ बारी त मेल्हाय मेंहदरवा॥

गहना कि ताईं हम गलवा फुलाई तू मनाव मोरे राम।
निमिया के पेड़वा म डाइ के झुलनवा झुलाव मोरे राम॥

लगतै सवनवां म ठुमकै मुरैला।
जाइ नैहरवा न देइ गन्धैला॥

पेटवा से भारी मोर गोड़वा मोटाय सोहराव मोरे राम।
निमिया के पेड़वा म डाइ के झुलनवा झुलाव मोरे राम॥