भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नई बस्ती / लालित्य ललित

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


ऐसा क्यों होता है
मृत्यु को करीब देख
देह को छोड़ना
नहीं चाहता मन
रे मन
चल उस ओर
जहां है एक
नया नील गगन
नई बस्ती
और यह रहा तुम्हारा
आवंटित नंबर
मन देखता रहा
शरीर खामोश पड़ा है
आसमान में
चमकी बिजली
यानी
आप का पंजीकरण हो
चुका है ।
नेक्स्ट प्लीज !