Last modified on 23 नवम्बर 2010, at 09:52

नई सुबह आएगी / शरद चन्द्र गौड़

धूल के गुबार से भरा शहर
एक नई सुबह तो आएगी
आशावान है ये कवि

गिरती दीवारें, टूटती सड़कें
गड्ढों पर उछलती गाड़ियाँ

नुक्कड़ पर पड़ा कचरे का ढेर
आवारा पशुओं का सड़क पर बसेरा
उजड़ते आशियाँ को निहारती
टुकुर-टुकुर आँखें
भविष्य की चिंता में
वर्तमान की चिता को दहकता देख

एक मद्धिम सी रोशनी की आस में.......
एक नई सुबह तो आएगी
आशावान है यह कवि...