भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नए जमाने के नए साधन / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
किया टाइप झट कम्प्यूटर पर,
फिर प्रिंटर पर कागज डाला।
हाथीजी ने बटन दबाकर,
सुंदर प्यारा प्रिंट निकाला।
फिर बोला भालू से, दादा,
इसको लेकर शाला जाओ।
आवेदन मेरी छुट्टी का,
मेरे शिक्षक को दे आओ।
भालू बोला बहुत मूर्ख हो हो,
क्या दिमाग बिलकुल ना पाया।
शाला कि ई-मेल आईडी पर,
इसको क्यों नहीं भिजाया।
नए जमाने के नए साधन,
अब तो जादूगर जैसे हैं।
काम फटाफट कर देते हैं,
अगर जेब में कुछ पैसे हैं।