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नए वर्ष में / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
बोलो, क्या-क्या करोगे
नए वर्ष में ?
पिछली भूलों को ही सिर्फ़ दोहराओगे
या सबक़ उनसे कोई नया पाओगे
कौन सा रंग भरोगे
नए वर्ष में ?
वक़्त का क़ीमती एक हिस्सा गया
लो शुरू हो गया आज क़िस्सा नया
क्या लिखोगे-पढ़ोगे
नए वर्ष में ?
एक रिश्ता बने जो न टूटे कभी
झील इंसानियत की न सूखे कभी
याद रखना, न ये बात भूले कभी
बोलो, वादा करोगे
नए वर्ष में ?