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नए सपन सुंदर जोड़ेंगे / अरविन्द पासवान
Kavita Kosh से
ख़ूब बढ़ेंगे
शृंग चढ़ेंगे
रोके-से हम नहीं रुकेंगे
ख़ूब खिलेंगे
ख़ूब फलेंगे
बाधाओं से नहीं झुकेंगे
ख़ूब पढ़ेंगे
ख़ूब लिखेंगे
अंधकार के गढ़ तोड़ेंगे
हमी रचेंगे
हमी बचेंगे
नए सपन सुंदर जोड़ेंगे