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नक़्श-ए-महरूमी-ए-तक़दीर को तदबीर में रख / नसीम सय्यद

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नक़्श-ए-महरूमी-ए-तक़दीर को तदबीर में रख
सई-ए-इम्काँ से गुज़र शौक़ को तामीर में रख

अपने एहसास-ए-रफ़ाक़त का बना मुझ को गवाह
और फिर मेरी गवाही मेरी तक़्सीर में रख

रंग सच्चे हों तो तस्वीर भी बोल उठती है
बे-यक़ीं रंगों की हैरत को न तस्वीर में रख

और भी क़र्ज़ हैं तहरीर के ऐ साहिब-ए-इल्म
इक फक़त तजि़्करा-ए-इश्क़ न तहरीर में रख