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नक्सलवाद / उमा शंकर सिंह परमार
Kavita Kosh से
ये पुलिस थाने
ये हवालात जेल
सेनाओं का युद्धाभ्यास
अदालतें, मुक़दमे
बता रहे हैं कि
रोटी पर कड़े पहरे
जारी रहेंगें
भले ही अख़बारों की सुर्ख़ियाँ
भूख को
अफ़वाह घोषित कर दें
टी० वी० के समाचार
सिद्ध कर दें कि
दो समुदायों के बीच
दंगा है
सरकारी प्रवक्ता का बयान
आ सकता है
इसके पीछे विदेशी साज़िश है
आँख बन्द हो सकती है
जुबान हकला सकती है
कविता अनुलोम-विलोम
कर सकती है
मगर पेट
किसी का ग़ुलाम नही
वह जता रहा है
कि हर भूखा आदमी
नक्सलवादी है