भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नखरालो बन्नो जी बन्नी पर जादू करगो / हिन्दी लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नखरालो बन्ने जी बन्नी पर जादू करगो
मतवालो बन्ने जी बन्नी पर जादू करगो

रंगरंगीलो छैल छबीलो ओ बन्ना है प्यारो
मीठो-मीठो मुलक रहो है यो तो जादूगारो
रसीलो बनडा सा बन्नी के मन बसगो। नखरालो.....
शीश बने के कलंगी सोहे, सेहरा जी की शोभा न्यारी
घोड़ी ऊपर बैठ्यो बन्नो पह्रयो सूट हजारी
हरियालो बन्नो जी, बन्नी के चित्त चढ़गो। नखरालो......
सज कर आया बन्ना जी तो संग में लाय बराती
आगे-आगे नाच रहे हैं बन्ने जी के साथी
कामणगारो बन्नो जी बन्नी पर कामण करगो....

नखरालो बन्ने जी बन्नी पर जादू करगो
मतवालो बन्ने जी बन्नी पर जादू करगो