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नगर में शोर भारी है / हिन्दी लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नगर में शोर भारी है न जाने किसकी शादी है-२
बन्ने के बाबा से पूछों नगर में किसकी शादी है
उन्होंने हँस के फरमाया मेरे पोते की शादी है

नगर में शोर भारी है न जाने किसकी शादी है-२
बन्ने के ताऊ से पूछों नगर में किसकी शादी है
उन्होंने हँस के फरमाया मेरे भतीजे की शादी है
 
नगर में शोर भारी है न जाने किसकी शादी है-२
बन्ने के पापा से पूछों नगर में किसकी शादी है
उन्होंने हँस के फरमाया मेरे बेटे की शादी है

नगर में शोर भारी है न जाने किसकी शादी है-२
बन्ने के मामा से पूछों नगर में किसकी शादी है
उन्होंने हँस के फरमाया मेरे भांजे की शादी है

नगर में शोर भारी है न जाने किसकी शादी है-२
बन्ने के जीजा से पूछों नगर में किसकी शादी है
उन्होंने हँस के फरमाया मेरे साले की शादी है

नगर में शोर भारी है न जाने किसकी शादी है-२
बन्ने के भईया से पूछों नगर में किसकी शादी है
उन्होंने हँस के फरमाया मेरे छोटे की शादी है