भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नग़मा-ओ-शेर की सौगात किसे पेश करूँ / साहिर लुधियानवी
Kavita Kosh से
नग़मा-ओ-शेर की सौगात किसे पेश करूँ
ये छलकते हुए जज़बात किसे पेश करूँ
शोख़ आँखों के उजालों को लुटाऊं किस पर
मस्त ज़ुल्फ़ों की सियह रात किसे पेश करूँ
गर्म सांसों में छिपे राज़ बताऊँ किसको
नर्म होठों में दबी बात किसे पेश करूँ
कोइ हमराज़ तो पाऊँ कोई हमदम तो मिले
दिल की धड़कन के इशारत किसे पेश करूँ