भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नज़दीकियाँ दूरियों का बहाना भर हैं / सुरेश चंद्रा
Kavita Kosh से
एक धुली हुई सुबह पर, हम ढ़ेरों शब्द रख देते हैं
और दिन मटमैला होते हुए, रात का बदन काला कर जाता है
नज़दीकियाँ, दूरियों का बहाना भर हैं
और शब्द, अकारण ही कारण.