भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नज़रबंद तस्वीर / विपिन चौधरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(सरबजीत के लिये)

सभी चौराहे की गोल दीवार पर चिपकी एक तस्वीर
हर नुक्कड़ हर मोड़ पर आपका पीछा करती तस्वीर
हुकुमरानों की कुर्सी के चारों पायों ने नीचें दबी
हुई वही तस्वीर

आप कितने ही जरूरी काम में व्यस्त हों
यह तस्वीर आपके आगे कर दी जाती है
और आप लाख बहाने कर आगे निकल जाते हैं

इस तस्वीर में कैद
नज़रबंद चेहरे की उम्र एक मोड पर आ ठहर गयी है
तस्वीर के बाहर
इस तन्दरुस्त चेहरे की साँझ कहीं पहले ढल चुकी है
अब तो इस तस्वीर वाला शख्स
बिना सहारे के एक कदम भी नहीं चल सकता

अच्छे बुरे का माप तौल हमने
उस दिन से छोड दिया जब हमारे ही कारिंदे
अपने साथियों के खिलाफ गुटबाजी में लिप्त पाए गए
और हुकुमरानो ने सह्रदयता दिखाते हुए उन्हें माफ कर दिया

पर इस तस्वीर के
पक्ष में उठी माफ़ीनामें की आवाजों को
बेशकीमती कालीन के नीचें छुपा दिया गया

सरहद की मजबूती के आगे
नतमस्तक हैं
दोनों ओर की फौजें
और इस तस्वीर के आगे बेबस हैं
चारों सेनाएं और दो लाजवाब देश

लोकतंत्र में सरकार की मजबूती
इस तस्वीर की मार्फ़त
अच्छी तरह से देख ली हैं
आगे से हम
इस सरकार की तरफ पीठ करके सोने वाले हैं