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नज़रिये / फ़ाज़िल हुस्नु दगलार्चा / उज्ज्वल भट्टाचार्य

मेरे लिये पहाड़
अकेलेपन में डूबा है ।
मुझे नींद नहीं आती
पहाड़ सोचता है ।

पहाड़ की नज़र में
मैं
होश खो चुका हूँ ।

मेरी नज़र में
पहाड़
भूखा है ।

पहाड़ को लगता है
मैं उस तक पहुँच नहीं सकता ।
मुझे लगता है
पहाड़ मुझ तक आ नहीं सकता ।

जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य