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नज़र में मेरी साँवरे तू ही तू है / रंजना वर्मा

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नज़र में मेरी साँवरे तू ही तू है।
तेरे दर्श की अब मुझे आरजू है॥

तमन्ना सभी की मिले प्यार तेरा
मगर किस तरह हो रही गुफ़्तगू है॥

हजारों बुराई भरी तन बदन में
हुआ मन हमारा तेरे रूबरू है॥

खड़ी द्रौपदी रो रही है सभा में
पड़ी आज संकट में ये आबरू है॥

चरण में तेरे शीश अपना झुकाऊँ
सुनो श्याम मेरी यही जुस्तजू है॥

हमेशा रहा ख़्वाब में जो समाया
मेरे श्याम तू तो वही हूबहू है॥

मेरा साँस औ आस विश्वास मेरा
तुझी पर ख़तम है तुझी से शुरू है॥