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नज़र लखनवी / परिचय

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मुंशी नौबतराय ‘नज़र’ का जन्म लखनऊ के कायस्थ परिवार में १९६६ई. में हुआ और उनका स्वर्गवास १९२३ई. में हुआ। आप का समस्त जीवन भरण-पोषण की चिन्ताओं और इष्ट-वियोगों में बिलखते हुए बीता।

१८९७ई. में आपने ‘खदंगे नज़र’ नामक मासिक पत्रिका प्रकाशित की जो अर्थाभाव में सात वर्ष बाद बंद हुई। १९०५ई. में कानपुर के ‘ज़माना’ मासिक पत्रिका के सम्पादकीय विभाग में कार्यरत रहे। फिर, १९१०ई. में प्रयाग की इण्डियन प्रेस से ‘अदीब’ प्रकाशित की। बाद में लखनऊ की ‘अवध’ का सम्पादन किया।

उदर-पोषण के लिए मारे-मारे फिरने के कारण स्वास्थ में गिरावट आना स्वाभाविक था। स्वास के रोगी बन गए। उस पर संतान-वियोग से भी पीड़ित रहे। एक लड़की, एक नवासा, एक बूढी़ माँ घर की ज़ीनत थे। एक के बाद एक सभी छोड़ गए और अंत में नवासे को भी ईश्वर ने उनकी गोद से छीन लिया। ‘नज़र’ इस सदमे को बर्दाश्त न कर सके और स्वयं भी यह शेर कहकर इस व्यथा भरी ज़िन्दगी से किनारा किया:- मोटा पाठ ऐ इन्क़लाबे-आलम! तू भी गवाह रहना। काटी है उम्र हमने पहलू बदल-बदल कर॥