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नज़्म / अंशु हर्ष

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फ़लक पर पूरा चाँद
जब मेरी खिड़की के रास्ते
चाँदनी बिखेरता है मेरे आँगन में
मन करता है उस चाँदनी को
कलम में भर कर
एक नज़्म तुम्हारे नाम लिखूं