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नज़्रे-बानी / शीन काफ़ निज़ाम

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मैं औराके-हैरानी में
इक साया गदले पानी में

मुश्किल आई आसानी में
है सारे मंजर पानी में

ढूंढे फिर होने का मतलब
अब आयात-इम्कानी में

सुब्हे-अजल से मैं बैठा हूं
इक बेनाम परेशानी में

देखो कितनी आबादी है
मेरी खानावीरानी में

कौन बताये ये कैसा है
है सब कुछ बहते पानी में

पानी में पानी होता है
प्यास नही होती पानी में

मैं उस के दिल में रहता था
अब तो हूं बस पेशानी में