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नदिया का घना-घना कूल है / ठाकुरप्रसाद सिंह
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नदिया का घना-घना कूल है
वंशी से बेधो मत प्यारे
यह मन तो बिंधा हुआ फूल है
नदिया का घना-घना कूल है
थिर है नदिया का जल जामुनी
तिरती रे छाया मनभावनी
याद नहीं आती क्या चांदनी!
पिछला जीवन क्या फिजूल है ?
नदिया का घना-घना कूल है
मैं आई जल भर हूँ आनने
या नहीं की सुख के दिन मांगने
जो जाता बीते फल थामने
करता वह बहुत बड़ी भूल है
नदिया का घना-घना कूल है