भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नदिया के तीरे-तीरे मुंगिया बाओल हो श्यामा / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
नदिया के तीरे-तीरे मुंगिया बाओल हो श्यामा
मुंगिया जे फड़य घौदे घौद हो श्यामा
घर सँओ बहार भेली सुन्दरि हो श्यामा
चलि भेली मुंगिया तोड़न हो श्यामा
खोंइछा भरि तोड़ल चंगेरी भरि तोड़ल
आबि गेलै मुंगिया रखबार हो श्यामा
छीनि लेल दूनू जउबनमा हो श्यामा
विद्यापति धन गाओल हो श्यामा
यौवनकेँ लोभे हम अयलहुँ हो श्यामा