भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नदिया के तीरे-हो-तीरे बोअल अनार / भोजपुरी
Kavita Kosh से
नदिया के तीरे-हो-तीरे बोअल अनार
नदिया का तीरे-तीरे बोअल अनार, फूल एक फूलि हो गइले।।१।।
फूलवा लोढ़ी-ए-लोढ़ी बिछवलों ए सेज
पिया के सूतल ए देखी, बिहरेले करेज।।२।।
फोड़बों में शंखचूड़ी, मेंटबों सेनुर
हतबों में भला जियरा, सामी के रे हजूर।।३।।
जनि फोडू शंखचूड़ी, जनि मेंटू सेनुर
जनि हतु भला रे जियरा, सामी के रे हजूर।।४।।