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नदी किनारे / सुरेश विमल

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नन्हे मुन्ने भर किलकारी
दौड़ लगाएँ नदी किनारे
रच रच कर गीली मिट्टी के
महल बनाएँ नदी किनारे।

सुबह सवेरे लोग हजारों
रोज नहाए नदी किनारे
पाखी अपना मीठा कलरव
खूब सुनाएँ नदी किनारे

पनिहारिन भरने को पानी
गागर लाएँ नदी किनारे
एक टांग पर बैठे बगुले
मछली खाएँ नदी किनारे।

धोबी कपड़े धोएँ धप धप
और सुखाएँ नदी किनारे
बस्ती भर के सभी जानवर
प्यास बुझाएँ नदी किनारे।

ढोने को मल्लाह सवारी
नाव चलाएँ नदी किनारे
समय-समय पर उत्सव मेले
रंग जमाएँ नदी किनारे।