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नदी के तट पर बसन्त की शाम / सेरा टीसडेल / लाल्टू

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ग़र्मियों के पागल मुलायम अन्धेरे में
कितनी रातें
तट पर बाग़ में बैठ
रोशनियों को काले साटन पर झिलमिलाते चमकियों-सा पहनी नदिया को
हम दोनों साथ देखा किए।
मुड़ती पगडण्डी पर उस ख़ुश जगह जंगले की छड़ नीचे
झुकी थी कि हम अन्दर घुस जाएँ
और ढलान पार उस पेड़ ने जो फूलों से लदा था हमें पनाह दी,
तुम्हारे बोसे और फूलों की बौछारें मेरे बालों में फँसती रहीं...

आस्मां में शिथिल सफेद तारे धीमे चलते रहे।

अब दूर ख़ुशबू भरे अन्धेरे में
फूलों से लदा पेड़ फिर काँप रहा है कि
बसन्त वापस आ रहा है।

कौन है यह लड़की जो आज की रात
आईने के सामने अपनी ज़ुल्फों में फँसे
इस साल के फूलों को झटक कर गिरा रही है?

अँग्रेज़ी से अनुवाद : लाल्टू

और लीजिए अब पढ़िए मूल अँग्रेज़ी में यही कविता
Summer Night, Riverside

In the wild soft summer darkness
How many and many a night we two together
Sat in the park and watched the Hudson
Wearing her lights like golden spangles
Glinting on black satin.
The rail along the curving pathway
Was low in a happy place to let us cross,
And down the hill a tree that dripped with bloom
Sheltered us,
While your kisses and the flowers,
Falling, falling, Tangled in my hair....
 
The frail white stars moved slowly over the sky.

And now, far off
In the fragrant darkness
The tree is tremulous again with bloom
For June comes back.

To-night what girl
Dreamily before her mirror shakes from her hair
This year’s blossoms, clinging to its coils?