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नदी खाली नदी‘ई नीं है / वासु आचार्य
Kavita Kosh से
नीं ठा कीं गमग्यो
नीं ठा कीं सौधण
नीं ठा कुण सै सुख री
याद सूं खिल्यौड़ी
नीं ठा कुण सै दुख री बीती
कैई घड़ी सूं बिफर्यौड़ी
कदै थ्यावस सागै
कदै बावळी ज्यूं
आपरै‘ई मांय
बड़ती निसरती
कदै फैलती मैदान ज्यूं
कदै भैळी हुवती गळी ज्यूं
आपरी‘ई धुण री धणियाणी हुई
गूंज गूंज गूंजती रै
बैवती रै नदी
दिन रात
रात दिन
भरती रै घाटी रो
हिंयो जिंयो
गूंजती रै अणथक अद्भुत संगीत लै‘री
दैवती रै सनैसो
जात्रा....जात्रा और जात्रा
जीणै री लालसा री जात्रा
चालणौ...चालणौ...और चालणौ
नदी खाली नदी‘ई नीं है
नदी चालणौ है अर चालणौ ई जीवण