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नदी में बाढ़ अइलोॅ छै / कुमार संभव

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धुरछक वर्षा ख़ूब बरसलोॅ छै,
नदी में बाढ़ अइलोॅ छै।

कहीं कोशी उपटलोॅ छै
कहीं गंगा उपटलोॅ छै,
गजब के दृश्य ई लागै
नदी, नहर सभ्भे उपटलोॅ छै,
धुरछक वर्षा ख़ूब बरसलोॅ छै
भरलोॅ कुइयाँ में बेंगोॅ के बोली
पीरो-पीरोॅ ढोंसा दादूर के टोली,
मस्ती में गाल फुलाबै, तुतरू फंूकै
वरखा गीत सुनाबै, बांटै चन्दन रोली।
बाढ़ वेग में गरमी बहलोॅ छै,
नदी में बाढ़ अइलोॅ छै।

गजबे ई पानी के बोहोॅ छै
उपर सें पछिया के हो-हो छै,
हथिया के अजबे गर्जन-तर्जन
लागै छेद सरंगोॅ में होलोॅ छै
गाँव-सड़क सभ्भे डूबलोॅ छै,
नदी में बाढ़ अइलोॅ छै
कन्नारोहट लाशोॅ के बहवोॅ
बिनु दानापानी, मुश्किल छै रहबोॅ,
फसल घास सब बहियारोॅ भंसलै
गाय भैंस रोॅ मुश्किल छै बचबोॅ,
गोदी रो बच्चा भुखलोॅ छै
नदी में बाढ़ अइलोॅ छै।