नदी से दूर एक सिन्धु है समतल
सिन्धु से दूर एक अन्य प्रेत है नभ का,
हे भगवान, मेरी आँख के रोग को सहारा दो
कहीं ऎसा न हो कि असीम दिक और प्रलम्ब पुरातन
मेरा हृदय निचोड़ लें
और इस भयंकर भूमि पर
मेरे छोटे शंख को
बड़ी हवा संस्कर मार डाले ।
नदी से दूर एक सिन्धु है समतल
सिन्धु से दूर एक अन्य प्रेत है नभ का,
हे भगवान, मेरी आँख के रोग को सहारा दो
कहीं ऎसा न हो कि असीम दिक और प्रलम्ब पुरातन
मेरा हृदय निचोड़ लें
और इस भयंकर भूमि पर
मेरे छोटे शंख को
बड़ी हवा संस्कर मार डाले ।