Last modified on 10 सितम्बर 2013, at 16:22

नदी से लहर मत छीनऽ / सुरेश कुमार मिश्र

नदी से लहर मत छीनऽ,
राही से डगर मत छीनऽ।
हमार हारे हमार जीत बा,
हमार ई नजर मत छीनऽ।
उमिर बीत गइल अकसरुए,
इयादन के सफर मत छीनऽ।
तू आकाश ओए धरती बिछाव,
हमार फटही चद्दर मत छीनऽ।
हमरो गजल के जीए दऽ,
ओकरा से बहर मत छीनऽ।