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नदी है / केदारनाथ अग्रवाल

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केदारनाथ अग्रवाल » कुहकी कोयल खड़े पेड़ की देह आग का आईना »
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नदी है
अब भी है
तट के पास
तट से सटी

रचनाकाल: ०२-०४-१९६८

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