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नदी - 2 / रोहित ठाकुर
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पिता ने कहा था
अपने कठिन दिनों में
कुछ मांगना नहीं
बिलकुल नदी की तरह
नदी और तुम दोनों
एक ही गोत्र के हो
तब से मैंने शामिल किया
नदी को अपने जीवन में
और बाँटता रहा
उसके साथ अपना लेमनचूस
पर नदी के स्वाद को नहीं जान सका
मैं जी लूंगा ऐसे संशय के साथ
नदी ने मेरे अंदर नहीं भरी रेत
इस बात को लेकर आश्वस्त हूँ
रेत न होना नदी होना है
पिता ने कहा एक दिन