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नदी / दीपाली अग्रवाल
Kavita Kosh से
नदी की तरह मोड़ दिए जाते हैं
कविता के रास्ते
अपने उद्गम में सबसे सच्ची है नदी
ठीक वैसे जैसे छोटी बच्चियां,
उड़ान पर लिखती हैं कविताएं