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ननदी भौजइया मिलि पनिया के चलली, जमुन दह हे / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

ननदी भौजइया मिलि पनिया के चलली, जमुन दह<ref>दह, झील</ref> हे।
ननद, जब होतो मोरा नंदलाल, बेसर पहिरायब हे॥1॥
देबो मैं देबो तोरा ननदो हे, भइया के पियारी हहु<ref>हो</ref> हे।
ननद, जब होतो मोरा नन्दलाल, बेसर पहिरायब हे॥2॥
आधी रात बितलइ<ref>व्यतीत हुई</ref> पहर रात, होरिला जनम लेलन हे।
भउजो, अब भेलो तोरा नंदलाल, बेसर पहिराबहु हे॥3॥
कहली हल<ref>कहा था</ref> हे ननद, कहली हल, भइया के दुलारी हहु हे।
ननद, नइ<ref>नहीं</ref> देबो तोहरा के बेसर, बेसरिया नइए देबो हे॥4॥
सभवा बइठल तोहें बाबूजी, त सुनहऽ बचन मोरा हे।
बाबूजी, तोर पुतहू कहलन बेसरिया, बेसरिया दिलाइ देहु हे॥5॥
सउरी<ref>सौरीघर</ref> पइसल<ref>पैठी हुई</ref> तुहूँ पुतहु न, सुनहऽ बचन मोरा हे।
पुतहु, देइ देहु नाक के बेसरिया, त बेटी घर पाहन हे॥6॥
नइ देबइ, नइ देबइ, नइ देबइ, हम नकबेसर हे।
बाबूजी, बेसर मिलल हे दहेज, बेसरिया नइए देबइ हे॥7॥
पोथी पढ़इते तुहूँ भइया, त सुनहऽ बचन मोरा हे।
भइया, तोर धनि कहलन बेसरिया दिलाइ देहु हे॥8॥
सउरी पइसल तुहुँ धनियाँ, त सुनहऽ बचन मोरा हे।
धनि, देइ देहु अपन बेसरिया, बहिनी घर पाहुन हे॥9॥
नइ देबइ, नइ देबइ, नइ देबइ, नइ नकबेसर हे।
प्रभु हम कहाँ पयबो बेसरिया, बेसरिया हेराय गेलो<ref>भूल गया</ref> हे॥10॥
चुप पहु, चुप रहु बहिनी, त सुनहऽ बचन मोरा हे।
बहिनी, करबो में दोसर बिआह, त बलका<ref>बालक</ref> पोसाय<ref>पालना-पोसना</ref> देहु हे॥11॥
लगे देहीं हाजीपुर बजरिया, बेसर हम लाइ देबो हे।
बहिनी, इनखा<ref>इनको</ref> के देबइन बनवास, से चुप रहु, चुप रहु हे॥12॥
एतना बचन जब सुनलन, सुनहुँ न पावल हे।
धनि, नकिया से काढ़ि के बेसरिया भुइयाँ<ref>जमीन, भूमि</ref> फंेकि देलन हे॥13॥
लेइ जाहु, लेइ जाहु, लेइ जाहु मोर नकबेसर हे।
ननदो, बनि जाहु मोर सउतिनियाँ, जे घर से निकासल हे॥14॥
काहे लागी लेबो बेसरिया, बेसरिया तोहरे छाजो<ref>शोभना</ref> हे।
भउजो, जीये मोर भाइ भतीजवा, उगल रहे<ref>जगमगाता रहे</ref> नइहर हे।
काहे लागी दोसरा बिआह करबऽ, काहे लागी बेसर हे।
भइया, लेइ तोर रोग-बलइया<ref>रोग-बलाय</ref> हमहीं जइबे सासुर हे॥16॥

शब्दार्थ
<references/>