नन्दन बन भारत / राम सिंहासन सिंह
तनवां कंचन मनवां चन्दन
पर जोगी के बेस हे,
स्वरग के नन्दन-वन जईसन
ई अप्पन भारत देस हे।
संकर जी के ससुर हिमालय
येकर पहरेदार हे,
गंगा-यमुना-सरसती के
कल-कल छल-छल धार हे,
तीन बहीनिया सरग के देवी
के ही तो अवतार हे
प्यारी भारत मैया के सब
रचा रहल सिंगार हे
लक्ष्मी हे हमर मैया
भिखमंगा बनल विदेस हे
स्वरग के नन्दन-वन जईसन
ई अप्पन भारत देस हे।।
गाँधी, मौलाना जईसन हे
देस भगत के पाँती।
खून-पसीना खींच बारलन
जहाँ प्रेम के बाती
अहिंसा-अवतार महावीर
ज्योत जले दिन-राती
बुद्ध के लोहा मान रहल हे
दुनियाँ मानव जाती
सत्य-अहिंसा ही येकर
अप्पन बस उपदेस हे।
स्वरग के नन्दन-वन जईसन
ई अप्पन भारत देस हे।।
डरब न आऊ डेरायब भी न
बस येकर हे मन्तर
ढाई आखर बस कबीर के
बंधर गियारी-जन्तर
रंग-रूप भासा-भूसा हे,
अलग न फिर भी अन्तर।
निरमल जल के धार बहऽ हे,
सबके दिल में अन्दर
सतरून के सीमा पर भारत
मारत धर-धर केस हे।
स्वरग के नन्दन-वन जईसन
ई अप्पन भारत देस हे।।