कमल खिला
दो कुमुद मुँदे
नाल लहरायी
सिहरती झील
गहरायी कुहासा
घिर गया।
हंस ने डैने कुरेदे
ग्रीवा झुला पल-भर को
निहारा विलगता फिर तिर गया।
बिनसर, नवम्बर, 1972
कमल खिला
दो कुमुद मुँदे
नाल लहरायी
सिहरती झील
गहरायी कुहासा
घिर गया।
हंस ने डैने कुरेदे
ग्रीवा झुला पल-भर को
निहारा विलगता फिर तिर गया।
बिनसर, नवम्बर, 1972