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नन्हा स्वावलम्बन / हेमन्त देवलेकर
Kavita Kosh से
(सोई गोली के लिए)
अंगूठा मुंह में दुबका है
तू गाढ़ी नींद में खोई है
नींद
तुझे ले गई है
एक सूनसान टापू पर
जहां तेरे सिवा
नहीं है कोई और
उस वीरान
एकाकीपन में
यही अंगूठा
तेरे मुंह में घुुल-घुल कर
मीठा-मीठा दूध
बनाता है
तुझे पिलाता है
सच कहूँ
तेरे मुँह में दुबका
यह अंगूठा नहीं
थन है
तेरा ही थन
यों तू माँ बनी है
ख़ुद अपनी