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नन्ही चिड़िया / मुस्कान / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
फुदक फुदक कर नन्हीं चिड़िया
मुझे जगाने आती रोज़।
क्या करती फिरती सारे दिन
मुझे बताने आती रोज़॥
कहती-भाई, बिस्तर छोड़ो
मुँह धो लो, कुछ खाओ तो।
माँ बाबा के चरण छुओ
बस्ता ले शाला जाओ तो।
मेहनत से जी नहीं चुराना
मुझे सिखाने आती रोज़।
फुदक फुदक कर नन्हीं चिड़िया
मुझे जगाने आती रोज़॥
खोल किताबें पढ़ने बैठूँ
खिड़की से देखा करती।
उठते ही फुर से उड़ जाती
नहीं किसी से भी डरती।
माँ बिखेरती चावल दाने
चुगने खाने आती रोज़।
फुदक फुदक कर नन्हीं चिड़िया
मुझे जगाने आती रोज़॥