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नपना / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
सभ दिन
अहाँ हमरा संग रहलहुँ
कखनो प्रेम
कखनो झंझटि करैत रहलहुँ।
लोकक बनाओल प्रेमक परिभाषामे
नहि अटलहुँ
संसारक सभटा नपना
अहाँकें नपबामे
छोट लागल हमरा।