नफ़रत की ये कैसी बस्ती है
उल्फ़त को रूह तरसती है
कहती है ये दुनिया प्यार जिसे
धोखा है नफ़स-परस्ती है
रो लेने दो जी भर के मुझको
जैसे बरसात बरसती है
ग़म लेने को है जान मेरी
और दुनिया ताने कसती है।
नफ़रत की ये कैसी बस्ती है
उल्फ़त को रूह तरसती है
कहती है ये दुनिया प्यार जिसे
धोखा है नफ़स-परस्ती है
रो लेने दो जी भर के मुझको
जैसे बरसात बरसती है
ग़म लेने को है जान मेरी
और दुनिया ताने कसती है।