नभ आंगनमे पवनक रथपर
कारी कारी बादरि आयल।
देखितहि धरणीक बिषम पियास,
सजल-सजल भए गेल आकाश
बिजुरी केर कोमल कोरामे डुबइत
सुरुज किरण अलसायल।
झिहरि-झिहरि सुनि गगनक गान,
धरणि अधर पर मृदु मुसुकान
आकुल कोमल दूबरि दूभिक मनमे
नव-नव आशा उमड़ल।
नभ आंगनमे पवनक रथपर
कारी कारी बादरि आयल।
देखितहि धरणीक बिषम पियास,
सजल-सजल भए गेल आकाश
बिजुरी केर कोमल कोरामे डुबइत
सुरुज किरण अलसायल।
झिहरि-झिहरि सुनि गगनक गान,
धरणि अधर पर मृदु मुसुकान
आकुल कोमल दूबरि दूभिक मनमे
नव-नव आशा उमड़ल।