नभ में दूर-दूर तारे भी!
देते साथ-साथ दिखलाई,
विश्व समझता स्नेह-सगाई;
एकाकी पन का अनुभव, पर, करते हैं ये बेचारे भी!
नभ में दूर-दूर तारे भी
उर-ज्वाला को ज्योति बनाते,
निशि-पंथी को राह बताते,
जग की आँख बचा पी लेते ये आँसू खारे भी!
नभ में दूर-दूर तारे भी
अंधकार से मैं घिर जाता,
रोना ही रोना बस भाता
ध्यान मुझे जब जब यह आता-
दूर हृदय से कितने मेरे, मेरे जो सबसे प्यारे भी
नभ में दूर-दूर तारे भी