भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नमक में आटा / कमल जीत चौधरी
Kavita Kosh से
हमने
कम समय में
बहुत बातें की
बहुत बातों में
कम समय लिया
कम समय में
लम्बी यात्राएँ की
लम्बी यात्राओं में
कम समय लिया
कम समय में
बहुत समय लिया
बहुत समय में
कम समय लिया
इस तरह हम
कम में ज़्यादा
ज़्यादा में कम होते गए
हमें होना था
आटे में नमक
मगर हम नमक में आटा होते गए !