भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नमन शहीदों को करूँ, जो खो बैठे प्राण / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
नमन शहीदों को करूँ, जो खो बैठे प्राण।
आतंकी विस्फोट में, व्यर्थ हुए बलिदान॥
जीवन सैनिक का सदा, होता है अनमोल
करते दो-दो हाथ तो, होता अति अभिमान॥
रोज रोज जगती नहीं, रणचंडी की प्यास
आज चाहती शत्रु के, लाल लहू का पान॥
उनके मस्तक गर्व से, छू लेते आकाश
लड़ते जो रणभूमि में, लिये हाथ में प्राण॥
वीर-प्रसूता भारती, रहें जनमते फूल,
मातृभूमि के चरण में, मिले दिव्यता ज्ञान॥
लिये देह गंगाजली, भरा रक्त का नीर
भारत माँ के चरण में, अर्पित करते जान॥
लिपट तिरंगे में चली, जब क्षत विक्षत देह,
देवों के भी कण्ठ से, निकला 'धन्य जवान'॥