भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नमामि गंगे / रामइकबाल सिंह 'राकेश'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जय कराल कलिकाल-काल संहारकारिणी,
जय असार संसार-शोकतमतुहिनहारिणी।
जय त्रिभुनविभविनी जय प्रणतार्तिनाशिनी,
जयति भोग-उपभोग-मोक्ष-परमार्थदायिनी।

जनलोचनपीयूषा जय कल्याणशोभना,
धरणिमण्डना, नक्रवाहना, लोकपावना।
त्रिविध अग्नियों में अर्न्हित रहनेवाली,
जय पृथिवी-पाताल-व्योम से जानेवाली।

जय-जय तीनों लोकों की आभूषणरूपा,
जय पापों की शत्रुस्वरूपा, पृथिवीरूपा।
जय रोगों की आषधिरूपा, जीवनरूपा,
सुरापगा जय अमृतस्रवा जय मंगलरूपा।