Last modified on 22 मई 2019, at 16:50

नम्र निवेदन विस्मृत करिये बातें मान-अपमान की / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'



नम्र निवेदन विस्मृत करिये बातें मान-अपमान की
चिंतन हो, जो वृद्धि क्षमता में विज्ञान की।

पल में मिट सकती है खाई, ज्योति जगे यदि ज्ञान की
सीख मिले निर्धन को श्रम की, और धनिक को दान की।

यदि अक्षम होस सक्षम बन कर जीना हो सम्मान से
पालो गाय सदा द्वारे पर, उत्तम खेती धान की।

ईर्ष्या-द्वेष भरी चर्चा का आवाहन अपराध है
अच्छा होता चर्चा होती कुछ मानव कल्यान की।

ईश्वर सेवा की परिभाषा सच्ची' पर-उपकार' है
मिल जुल कर रहने की शिक्षा सीढ़ी है उत्थान की।

निश्चित दूर विषमता करिये जो मानव की देन हो
शेष, सुखी हों देख विषमता रचना में भगवान की।

अति प्राचीन हमारी संस्कृति पर हमको 'विश्वास' है
आग लगाये मत खुशियों में कोई हिंदुस्तान की।