भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नयन हँसे / कविता भट्ट

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नयन हँसे
थे बीतराग कल
यों बँधे आलिंगन,
पिय नैनों ने
दिया जीवन -दान
करूँ अमृतपान।
2
अहो! कर्त्तव्य !
विराग में खड़ा है-
मूक ,जड़,बधिर,
मद में चूर
अधिकार- मुस्काए
सिंहासन विराजे।