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नया इतिहास / शैलेश मटियानी
Kavita Kosh से
अभय होकर
बहे गंगा,
हमें विश्वास देना है
हिमालय को
शहादत से
धुला आकाश देना है !
हमारी
शांतिप्रियता का
नहीं है अर्थ कायरता-
हमें फिर
ख़ून से लिखकर
नया इतिहास देना है !